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लेखनी प्रतियोगिता -30-Apr-2022

व्यर्थ में शोर मत करो माननीय जनता-गण,
हम सबका प्यारा दुलारा संसद भवन सो रहा है।

हकीकत में चाहे नज़र भले ही नहीं आया,
भले ही कागजों में सही, विकास तो हो रहा है।

आरोप प्रत्यारोप के साथ राजनीति चल रही है,
नींद में ही देश सुनहरे कल के सपने संजो रहा है।

धर्मों और नीतियों तानाशाही रुप में ढाला गया है,
अन्याय को सामने लाने वाले जेल में रो रहा है।

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1 Comments

Swati chourasia

01-May-2022 07:23 AM

बहुत खूब 👌

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